Thursday 31 December 2015

जाते जाते बहुत कुछ दे और ले गया साल "2015"

जब भी कोई नया साल आता है हमारे जहन में बदलाव की लौ ले कर आता है...हम हर साल अपने को एक नये ढांचे में ढालने की कोसिस करते है...इस कशमकश में बहुत कुछ पीछे छुट जाता है....उपलब्धियां तो मिलती है पर बहुत कोई साथ छोर जाता है...कुछ अपने जिसपर हम अनेको सपने देखे होते है वे छोर जाते है...परन्तु जिन्दगी में ऐसे क्षणों में काफी कुछ सिखने को मिलता है...जिन्दगी के नए तौर तरीको को आकलन की जगह अनुभव का सुअवसर प्राप्त होता है...

कुछ ऐसा ही हुआ मेरे साथ साल-"2015" में....जब साल 2015 की सुरुआत हुई तो अरमानो व् हौसलाओ का बौछार ले कर आई...बदलाव की लहर जहन में दौर परी थी...बहुत कुछ पाने की ललक थी...पढाई से लराई तक...प्यार से त्यौहार तक...चुकी आज साल का अंतिम दिन है और विगत 364 दिनों में काफी कुछ बीत चूका है...और आज अपने निष्कर्ष निकालने का दिन है सो गरे मुर्दे उखार रहा हूँ...

साल 2015 मेरे लिए कुछ ऐसे क्षण भी लाया था जो मेरे अब तक के जीवन का सबसे बेहतरीन व् सुखद पल था और इस साल में कुछ ऐसे भी पल आये थे जो विगत 4 सालो का मेरे  निजी जीवन का सबसे उदास पल था...

एक तरफ "काशी हिन्दू विश्वविद्यालय" में चयन इस वर्ष का व् अब तक का मेरा सबसे सुखद क्षण था तो वही चंपारण छात्र संघ द्वारा मेरे नेतृत्व में आयोजित "चंपारण शिक्षा जागृति अभियान" का अनाथालय कार्यक्रम वर्ष की सबसे सुखद अनुभूति थी....

इस के अलावे साल 2015 में पढाई...सामाजिक जीवन व् निजी जीवन सब कुछ अलग अलग तरीको से बिता....4 सालो से चले आ रहे प्रेम-प्रसंग का भी अंत इसी साल 2015 में ही हुआ...इसपर ज्यादा नही बोलूँगा क्यकी मेरे इस ब्लॉग से कोई आहत हो ये मुझे कतई पसंद नही...

         खैर जो भी साल 2015 वाकई एक बेहतरीन साल की तरह बिता....प्यार से परिवार और यार तक सबकुछ से कुछ न कुछ सिखने को मिला.....Now a GRAND WELCOME---2016...(a year of hope and changes)

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Vikash jee

Student-BNARAS HINDU UNIVERSITY

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