शिक्षा में आधुनिकरण पर बाजारीकरण हावी...!!
एक समय था जब लोग जंगलो में जाकर गुरुओ से शिक्षा ग्रहण करते थे यह वयवस्था सबके लिए लागू होता था चाहे भग्वाआँ श्री कृष्ण हो या भगवान राम अथवा सुदामा से लेकर एकलव्य तक...आज दिन दूनी रात चौगुनी शिक्षा का आधुनिकरण होते जा रहा है....यु कहे तो ...""स्लेट को शिक्षा कंप्यूटर तक पहुंच गयी""!!
परन्तु जैसा की ज्ञात होगा आप सब को की इस आधुनिकरण पर शिक्षा का बाजारीकरण हावी है "अब न तो गुरु गुरु है और न ही शिष्य शिष्य"...ना तो गुरो के दिलो में शिष्यों के प्रति श्रद्धा रही और ना ही शिष्यों के दिल में गुरु के लिए वैसा सम्मान...आज के आधुनिकता के दौर में गुरु शिष्य रिश्ते का भी बाजारीकरण हो गया है...!!!
वर्तमान के दौर में गुरु शिक्षा के वयवसाई हो गए है और शिष्य ख़रीददार...गुरु शिस्य रिश्ते की शुरुआत ही अब "अर्थ" से शुरू होती है और अर्थ पर समाप्त...
शिक्षा का बाजार योग्य से लेकर अयोग्य शिक्षक वयोसाइओ से सजा परा है ऐसी स्थिति पुरे भारतवर्ष की है...आधुनिकता के इस दौर में वय्वसाईकरण के हावी होने के वावजूद भी बहुत ही मुश्किल से शिक्षा का गुणवत्तापूर्ण भाग शिष्यों को प्राप्त हो पता है...अधिकाधिक शीषक छात्रों के भविस्य से खेलते नजर आते है....वे अपने रोजगार के चककर में छात्रों को भविस्य में बेरोजगार बनाने में कोई कसार नहीं छोरते...!!!
गुरु शिष्य परम्परा की समाप्ति हो गयी है....आधुनिकता के इस विकाश्वादि सिद्धांत को व्यवसाइकता के लुटेरे लूट गए...बिहार के अधिकाधिक महाविद्यालयों में प्राध्यापक सिर्फ पेमेंट की तारीख देखते रहते है....असली मायने में महाविद्यालयों की शिक्षण वयवस्था को ध्वस्त करने में वहा के प्राध्यापको का भी उतना ही योगदान है जितना शिक्षा का बाजारीकरण करने में बाजारू शिक्षको का!!!
आज का बिहार काफी बदला है बेटियां शिक्षा के प्रति जागृत हुई हैं....बिहार सरकार का साइकिल योजना ने बेटियो को एक पंख जरूर दिया था उड़ाने भरने को....
अब बेटियां भी स्कूल जाने लगी थी...१०वी तक पढ़ाई भी कर ली ...वे आगे पढ़ना चाहती है परन्तु बिहार के अधिकाधिक महाविद्यालयों में पढ़ाई नहीं होती....ऐसे में उन बेटीओ पर इस साइकिल रूपी उड़ान का क्या मतलब जब उनके पंख ही काट लिए गए हो...!!!
अंततः हम यही समझते है की शिक्षा का व्यापारीकरण चरम सीमा पर है और अब यह व्यापारीकरण व्यवसाईकरण का रूप ले चूका है इसलिए इसके समाप्ति के आसार नहीं दीखते...!!
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"vikash jee"
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[नोट:-जैसा की आपको बता दूँ शिक्षा का बाजारीकरण तो हुआ है यह बात शत प्रतिशत सही है और अयोग्य शिक्षक शिक्षा के मंडी में बैठे है यह बात भी शत प्रतिशत सही है...परन्तु सारे शिक्षक अयोग्य ही नहीं है कुछ के पास योग्यताएं हैं और वे इस लेखनी में अपवाद माने जाएंगे...अगर आप शिक्षक है और मेरी इस लेखनी से आपको आघात पंहुचा है तो क्षमा चाहूंगा वैसे आप खुद तय करे की आप किस श्रेणी में है...ये मेरे अपने विचार है और यही वर्तमान की वास्तविकता भी है| ]
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जय हिन्द
लेखक:-विकाश जी
[संयोजक-चंपारण छात्र संघ]
छात्र -काशी हिन्दू विश्वविद्यालय
संपर्क-7870213118
Sachaiye ko aapne ish adbhut lekani k madhayam se bare hi saralta k sath aapne bahut hi Gambhir bat kh di.aaj sikchha apne sbse nichle astar pr hai.Samaj Ki vidmbana yh hai Ki log chupchap ishe sah rhe hai aur bhavisya aandhkarmay hote jaa tha hai.khne ko to bahut kuchh hai lekin kami samay ko
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