Tuesday 6 October 2015

वर्तमान में "भारत" पर इंडिया हावी...

जी हाँ पढ़ कर कुछ अटपटा लगा होगा लकिन वास्तविकता यही है की आज के २१ वी सदी में हम भारत को भूल कर अपना रुख इंडिया की तरफ कर रहे है....लेकिन आप यह बिलकुल ही भूल रहे है की उस इंडिया में एक भारत भी निवास करता है.....जो की प्रायः गांवो में बसता है...

आज की युवा पीढ़ी भारत को भूल कर इंडिया के साथ खरे है...जी हाँ वही इंडिया जिसका नाम विदेसीओ ने दिया है...विदेशी तो भारत से १९४७ में चले गए लकिन जाते जाते काफी कुछ उन्होंने यहाँ छोर दिया जिसमे अंग्रेजी भाषा , पशिचमी सभ्यता संस्कृति ,आदि प्रमुखतः छोड़ गए जो वर्तमान में हम भारतवासिओ पर मुख्यतः हावी है|

आज के युवाओ का रुझान गांवो से बिलकुल ही हट गया है...वे पिछड़े भारत में नहीं प्रगतिशित इंडिया में रहने को उत्सुक है हालांकि ऐसे युवाओ की संख्या १०० % नहीं है लकिन जो भी है उनमे कुछ विशेषताए है उनकी कल्चर विदेशी है भाषा अंग्रेजी है....वे जानभूझ कर हिंदी बोलना नहीं चाहते


आज एक तरफ इंडिया दिन दूनी रात चुगुनी प्रगति कर रहा है तो वही दूसरी तरफ भारत भूख से रो रहा है...एक तरफ वयवसाय और पूंजीपति वर्ग इंडिया में अपनी खुशहाल जिंदगी वयतीत कर रहे है तो दूसरी तरफ भारत के किसान आत्महत्या करने को मजबूर है....

                              

आज का भारत भूख से रोता है...ठंढ से कापता है....इंडिया इसे देखकर नाक भव सिकोरता है...(यह वाक्य मैंने इस संदर्भ में लिखा है की आज के पूंजीपति के बच्चो को या पूंजीपतियों के परिवार को किसी पिछड़े ग्रामीण इलाके में ले जाकर वहां की मुलभुत सुविधाओ में २ घंटे रख दिए जाए तो उनके जुबान से निश्चित ही यह शब्द निकल परता है....O my god...i hate villagers...i hate village

           एक बात और अगर आपका जन्म १९ वी सदी के भारत में हुआ है तो एक बात आप भी बखूबी मिला सकते है....जब हम जन्मे थे तो अपन का बचपन तो पारले-जी बिस्किट से ही कट गया जो उस समय ३ रूपए के १२ की पैकेट आती थी...

आज के बड़े घराने के बच्चे तो OREO और DARK_FANSTY से कम में सुनते नहीं...पारले जी तो उनके लिए कुत्तो के खाने का बिस्किट है....आपन लोग का बचपन तो १ रुपये में १२ लेमनचूस से गुजरा है...खुद भी कहते थे दोस्तों को भी खिलाते थे...लकिन आज के इंडियन बच्चे "डेरी मिल्क सिल्क" से निचे मानने को तैयार नहीं होत....

आज का इंडिया हरियाली को तरसता है तो वही गांवो में पूर्ण हरियाली है |

मित्रो याद करिये उस गांधी को जिसने इस भारत को आाजदी दिलाई याद करिये कलाम शाहब जैसे महापुरुस को जिन्होंने भारत को एक नई उचाइओ पर ले गए लकिन उनकी भी शुरआत गांवो से ही हुई है....इनलोगो का एक उदेस्य था "चलो गांवो की ओर"


     कहते हुए दुःख होता है की आज गांधी और कलाम नहीं है...इसलिए हमें चाहिए की अपने अंदर एक गांधी पैदा करे...अपने अंदर कलाम पैदा करे...इस सतरंगी इंडिया को छोर पुनः गावो से एक नई शुरुआत करे....तभी हम एक सच्चे और अच्छे भारतवाशी कहलायेंगे और सही मायने में तभी हमे एक सच्चे भारतवासी होने का गौरव प्राप्त होगा.....जय हिन्द


लेखनी:-विकाश जी

संपर्क सूत्र :-7870213118

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