Wednesday 16 September 2015

"मोदी" के लिए इतना आसान नही 'काशी' को 'क्यूटो' बनाना....








काशी जिसे पूर्वांचल का मुख्यालय भी कहा जाता है...इस क्षेत्र के सांसद है हमारे भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ....बात उन दिनों की है जब लोकसभा चुनाव को लेकर बीजेपी से प्रधानमंत्री पद के उमीदवार के तौर पर मोदी जी ने अपना नॉमिनेशन दिया था नॉमिनेशन के दौरान मोदी जी ने कहा था अगर बीजेपी जीतती है तो मै काशी को क्योटो बना दूंगा..जी हाँ क्योटो जापान का सबसे विकसित शहर ...इस शहर के तर्ज पर मोदी ने काशी को बनाने का वादा किया था लकिन चुनाव के खत्म हुए व् मोदी को भारत का प्रधानमंत्री व् काशी का सांसद बने कुल १ साल २ महीने से भी अधिक समय हो गया लकिन आज भी काशी वही खरा/परा है जहा चुनाव से पहले  खरा था |
जहा तक मैंने काशी को करीब से देखा है इसके विकास के रोड़े खुद काशीवासी ही है....यु तो पूरी  दुनिया में काशी/बनारस का पान फेमस है जो भी एक बार काशी आता है यह के पान का मज़ा जरूर ले कर जाता है जब बाहरी आकर मज़ा ले रहे है तो भला इससे काशीवासी कैसे अछूते रह सकते है...मेरे अनुसार पान खाना बुरी बात नही है लकिन पान का पित बनारस के सरको,लोगो के दीवालों,बस  में सीट के निचे व् घर/दफ्तर में किवारो के पीछे फेकने से तो काशी इतनी आसानी से क्यूटो नही बन जाएगा|
   बनारस में गंगा जी की भी स्थिति कुछ ठीक नही है प्रतिदिन १०० से अधिक शव गंगा जी के किनारे जला कर उनकी अस्थिया गंगा में प्रवाहित की जाती है दूसरी तरफ प्रतिदिन १० से 25 की संख्या में शव गंगा जी में बहा दिए जाते है और कासी में आस्था की देवी गंगा का स्थान कुछ अलग ही है यहाँ प्रतिदिन गंगा आरती भी होती है जिसमे माँ गंगा की वंदना भी की जाती है तो एक तरफ गंगा आस्था है तो दूसरे तरफ शव जला कर उनकी अस्थिया व् शव को गंगा जी में प्रवाहित करना  भी काशी व् गंगा के विकास में रोड़े परे है
|इससे गंगा विलुप्त हो जाने के कगार पर एक दिन आ जायेगी जिस तरह  से बनारस से वरुणा विलुप्त हो गई अगर भविस्य  में भी गंगा की स्थिति  यही रही तो वह दिन दूर नही होगा जब गंगा भी कासी में नजर नही आएगी....
वैसे काशी को क्यूटो बनाने के पहले सबसे पहले यह के लोगो  की मानसिकता बदलनी होगी तभी काशी बदलेगा...भारत का सबसे प्राचीन शहर काशी के लोग आज भी प्राचीन है कहने को तो काशी एक बड़े क्षेत्र वाला  नगर है यह की आबादी काफी है लकिन यहाँ आज भी प्राचीन मेनटॅलिटी वाले लोग निवास करते है इतना समझ लीजिये न की यहाँ के लोग एक नगर निगम क्षेत्र में निवास  करते है लकिन इतनी भी समझ नही है की अपने पशुओ को बाँध कर रखे कासी कोइ गांव थोरे  ही न है की जहा जी  करे  अपने पशुओ को आवारा छोर दे...ये आवारा पशु दिन भर  काशी के सरको पर नजर आते  है कभी इनके  चलते ट्रैफिक परेसान  है तो कभी जनता....और ये जहा तहा मल मूत्र त्याग कर नगरीए  सौंदर्य वयवस्था को भी प्रभावित करते है...ये भी एक प्रमुख मसला है काशी को क्योटो  बनाने में अवरोध को ...
                      इसके अलावे गंदगी ,यहाँ की भाषा सैली ,और रहनसहन भी अवरोधकों में अपना प्रमुख स्थान रखते है....जिससे कासी को क्योटो बनाने में परेशानिया आएगी..
                      इसलिए जनप्रतिनिधियो को चाहिए की पहले इन पहलुओ पर ध्यान दे फिर इस काशी को क्योटो बनाने के लिए योजनाये लाएंगे | किसी भी नगर के सौंदर्यीकरण में योजनाओ के साथ साथ आवश्यक है की यहाँ के लोगो की विचार-सैली बदले  तभी कुछ सम्भव है प्रतिवर्ष  हजारो सैलानी काशी भर्मण को आते है लकिन इसको देखकर क्या सोचते होंगे या  यहाँ से जाकर  अपने देश  में इसकी  क्या व्याख्यान करते होंगे  ये तो एक काशी वाला  ही बता सकता है अगर आप भी कुछ बताना चाहते है तो एक बार  अवश्य ही काशी आइये और इसे निश्चिंत से इसको घूमिये|
          यहाँ के लोग काफी ही दिलदार होते है पुरे फिल्मी अगर 1 सप्ताह के लिए आप काशी आते है तो मेरा यकीं मानिये आप यही के हो जाएंगे....क्यकि जो काशी में आता है काशी का हो जाता है...|

जय हिन्द


लेखनी:- विकाश जी
संपर्क सूत्र -07870213118

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