Saturday 19 September 2015

"अबकी बार - किसका बिहार "

 बिहार में चुनावी दंगल अपने शबाब पर है। सिहांसन पर कब्जा जमाने के लिए सभी पार्टियों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है।उधर, सर्वे करने वाली एजेंसियां भी चुनाव पूर्व ऑपिनियन पोल में बिहार के 16वें विधानसभा की संभावित तस्वीर खींचने में लगे हैं। अब तक तीन एजेंसिय़ों के सर्वे में तस्वीर साफ नहीं है कि इस बार किसका पलड़ा भारी होगा।

नेता लोगो की किस्मत शूली पर है .....इस सबो के बीच हर उम्मीदवार विधानसभा की सीढ़ियाँ चढ़ना चाहता है .....जनता भी निग़ाहें जमाये बैठी है की '''इस बार-किसका बिहार'' .....
                              कोई कहता है की यहाँ  कमल खिलेगा तो कोई कहता है की महागठबंधन की जीत होगी.....सभी पार्टिया अपने जीत का दवा कर रही है....इन सब के वावजूद पार्टिओ पर परिवारवाद हावी है....चाहे लालू यादव का राजद हो या फिर जीतन राम मांझी का हम  चाहे रामविलास पासवान की लोजपा हो....

                                 एक तरफ परिवारवाद का झंडा लिए लालू के दोनों बेटे तेजस्वी व् तेजप्रताप चुनाव लरने को तैयार है तो वही मांझी जी के सुपुत्र को भी इस बार टिकट दिया गया है....इन सब के बीच कल लोजपा ने भी अपने टिकेट बटवारे में परिवारवाद को अलग नही रखा....इस बार लोजपा से परिवारवाद का झंडा लिए रामविलास पासवान के भतीजे  मैदान में है....

                                             पार्टिओ में परिवारवाद के बढ़ावे को देख कर हर पार्टी का समर्पित कार्यकर्ता निराश है परिवारवाद के वजह से इस बार कई समर्पित कार्यकताओ  का टिकट कटा है...जो अपने लिए क्षेत्र में खूब मेहनत थे व् सही मायनो में वे ही टिकट के वास्विक हकदार थे.... इन सबो को देखकर पार्टिओ से समर्पित कार्यकर्ताओ का मोह भंग हुआ है...जनता भी इस बार के चुनावी समीकरण को नही समझ पा रही  है....
                                        उन्हें समझने में कठिनाई हो  रही है वे भी टकटकी लगाये बैठे है की पता नही इस बार किसकी सरकार बनेगी...कमल खिलेगा या तीर चलेगा....एक तरफ कमल का साथ झोपड़ी,पंखा,टेलीफोन दे रही है तो वही तीर का कमान लिए लालटेन व् पंजा है....
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कोई जंगलराज भगा रहा तो कोई मण्डलराज कर खिलाफ मैदान में है इन सबो के बीच राज्य की बाहरी पार्टिया भी चुनावी समीकरण को बिगारने में पूरी कवायत लगा रहे है....मुस्लिम वोटो को अपने तरफ रिंझाने के लिए इस बार AIMIM  के प्रमुख ओवैसी  ने भी अपनी पार्टी को बिहार के चुनावी दंगल में उतारने का एलान किया है

 ....तो दलित वोटो की राजनीति से जीतराम मांझी व् रामविलास पासवान भी अपने को अछूते नही रखे है....कुशवाहा वोटो को अपनी और खीचने के जिद्दोजहत में रालोसपा के उपेन्द्र कुशवाहा है....तो यादवो का सबसे बड़ा नेता कह कर यादव वोटबैंक के पीछे राजद परी है....हिंदुत्वा व् विकास के नारे के साथ भाजपा भी सभी वोटो को अपने कहते में डालना चाह रही है ....
बाकी तो चुनावो में जनता ही जनार्धन है....सब उठापटक तो उसी को करना है...लकिन एक बात तो है चुनावो में उम्मीदववार इतने न बहुरुपिया हो जाते है की उनको पहचानना मुस्किल हो जाता है...फिर भी मालिक तो जनता ही है...रिमोट का बटन तो जनता के पास ही है
...अभी चुनाव में समय है....पता नही जनता का १-१ बटन किस किस को विधानसभा की सीढ़ियाँ चढ़ाता है....
      आगे आप भी इस चुनावी हलचल पर नजर जमाये रहिये हम भी उत्तरप्रदेश से बिहार की राजनीति पर टकटकी लगाये है....अब देखना है अगला ५ साल किसका होता है |

जय हिन्द


लेखनी:-विकाश जी
संपर्क सूत्र :-७८७०२१३११८
                               

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