Thursday 17 September 2015

"तो क्या इस साल भी मानेगा मोतीझील के मौत पर जश्न"

कोई इसकी तुलना डल झील से करता है तो कोई इसकी सौंदर्यता की माप वुलर झील से करता है लकिन अब कुछ नही बचा है इसके पास यु कहु तो अपने अंतिम साँसे गिण रही है बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के मुख्यालय मोतिहारी के बीचोबीच अपनी भुजाये फैलाये अब कुछ ही दुरी में बसी "मोतीझील" |

कभी इस झील का आकार मोतिओ के हार की तरह था जिसके छत्रछाया में बसे नगर का नाम मोतिहारी परा...सुनने में आता है की यह चीनीमिल के आगे से धनौती नदी के आस पास तक फैला था हालाँकि यह जानकारी मेरे पास पुख्ता नही है लकिन इतना तो पक्का है की अब यह पहले जैसे नहीं है.....अब यह कचरो का अम्बार सा बन गया है ....अकेले सारे सहर की गंदगी झेलता है यह झील ....इसके सौंदर्यीकरण को आये पैसे कही और खर्च कर दिए गए .....इसके आगोस में लोग अतिक्रमण कर अपना घर तक बन लिए और सुख चैन से रह भी रहे है .....

पिछले वर्ष कुछ युवा जागे थे इसके लिए उस भिर में मैं ही शामिल था लकिन अब वे ऐसे न कुम्भकर्णी निद्रा में सोये की उनको जगाना मुस्किल है....नप के कार्यपालक अधिकारी बेतुक सा बयां दे देते है की उनके पास इसमें खर्च करने के लिए राशि नहीं है .....
याद दिलाना चाहूंगा बात पिछले  ही साल की है नप द्वारा ही मोतीझील के संरक्षण को मोतीझील महोत्सव का आयोजन  हुआ था  बड़े बड़े नेता मंत्री विधायक आये थे
कुछ तोइतना  तक कह कर चल दिए की FEB-2015 से इसके सौंदर्यीकरण का काम सुरु हो जाएगा ....ये सब कह कर ये जनता को गुमराह किये फिर चला सांस्कृतिक कार्यकर्मो का दौर .....देर रात तक
            जनता की निग़ाहें FEB - 2015 पर थी वह भी दिन आया और अब तक कुछ नहीं हुआ....लोगो की दिलशाये टूट गई...उन्हें लगा की उनके साथ मज़ाक हुआ है ....सारा माजरा समझने में जनता को जरा भी देर न लगी वह सांस्कृतिक कार्यक्रम मोतीझील क मौत पर जश्न जैसा था.....
                      फिर समय आ गया है अभी सितम्बर चल रहा है नवम्बर में मोतीझील महोत्सव हुआ था....सोच में परा हु की ..


क्या इस बार भी मोतीझील महोत्सव का आयोजन होगा ???
                       क्या इस बार भी जनता गुमराह होगी??????
      क्या इस बार भी मोतीझील के मौत पर जश्न मनेगा ????


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